नमस्कार मित्रों आज आप सभी को बताएंगे सूर्य देव की पूजा कैसे करें और सूर्य देव की संपूर्ण पूजा विधि की जानकारी आपको इस पोस्ट मे देगें और इसके साथ ही साथ मित्रो हमने पिछले पोस्ट में आप सभी को सूर्य देव की पूजा के लाभ इस पर आपको पोस्ट दिया है अगर आप उसको नहीं पढ़ा है तो आप क्लिक करके उसको पढ़ सकते हैं
सूर्य देव की पूजा कैसे करें
सूर्य देव की पूजा करना हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध पूजा पद्धति है जो सूर्य के विशेष उपासकों द्वारा की जाती है। सूर्य देव को जीवन का स्वामी माना जाता है और उनकी पूजा से सौभाग्य, आरोग्य, धन, शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यहां कुछ आसान चरणों के माध्यम से सूर्य देव की पूजा करने का तरीका दिया गया है:
सूर्य देव की पूजा के लिए सामग्री:
- सूर्य मंत्र के पाठ के लिए बेल पत्र, पुष्प, दीपक, धूप, अगरबत्ती आदि।
- पूजा के लिए कलश, गंध, अक्षत चावल, कलियों से सजी थाली।
- पूजा के लिए सूर्य का चित्र या मूर्ति।
- जल और गणेश वंदना के लिए पूर्वांग पूजा के लिए समर्पित कुछ नारियल, सिंदूर, अपने सामान्य पूजा सामग्री।
सूर्य देव की संपूर्ण पूजा विधि–
- पूजा स्थल को शुद्ध करें: सूर्य देव की पूजा के लिए एक शुद्ध और साफ पूजा स्थल चुनें।
- सूर्य मंत्र का पाठ करें: पूजा की शुरुआत में सूर्य मंत्र “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” का १०८ बार जाप करें।
- सूर्य की मूर्ति या चित्र को सजाएं: सूर्य की मूर्ति या चित्र को फूल, अक्षत चावल और बेल पत्र से सजाएं।
- धूप-दीप आराधना: धूप और दीपक जलाकर सूर्य देव को समर्पित करें।
- नैवेद्य: पूजा के बाद सूर्य देव को नैवेद्य चढ़ाएं। प्रायः पूर्वांग पूजा के लिए नारियल, चीनी, और घी का प्रसाद भी दिया जाता है।
- सूर्य आरती: पूजा के अंत में सूर्य आरती करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी आशीर्वाद का अनुरोध करें।
- पूजा समाप्ति: पूजा के बाद आप सूर्य देव को ध्यान करके धन्यवाद दें और पूजा समाप्त करें।
यदि आपने पहले कभी पूजा नहीं की है या अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप किसी धार्मिक गुरु से या पंडित से संपर्क करके अधिक जानकारी ले सकते हैं। वे आपको सही दिशा और विधि में मार्गदर्शन करेंगे।
ध्यान रहे कि पूजा करते समय शुद्धता, भक्ति, और श्रद्धा से करें और संयमपूर्वक आचारण करें।
सूर्य देव की गाथा–
सूर्य देव की गाथा वेदों में विभिन्न रूपों में मिलती है, लेकिन एक प्रसिद्ध गाथा है जो उन्हें स्तुति करती है। यह गाथा “आदित्यहृदयं” नाम से भी जानी जाती है। इस गाथा का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा मिलती है और व्यक्ति को ऊर्जा, शक्ति, और बुद्धि मिलती है।
इस गाथा का विस्तृत रूप से पाठ करने से पहले यहां उसका संक्षेप में अनुवाद दिया गया है:
आदित्यहृदयं पुण्यं, सर्वशत्रु विनाशनम्।
जयावहं जपेन्नित्यम्, अक्षय्यं परमं शिवम्॥
आदित्यहृदयं गाथा का विस्तारित अनुवाद:
तत्त्वविद्यां च विद्यां च सर्वशास्त्रार्थतत्त्ववित्।
एको विष्णुः सर्वभूताधिवासः। एकः प्राणः सर्वेषि भूतेषु गूढः।
एकोऽप्येकः सर्वभूतान्तरात्मा। क्रीडन्तो विश्वमचरन्तोऽमृताः।
एकः सः विश्वभूतभुजगभोगे। एको रूपः सन्निपत्यन्तरात्मा।
एकोऽप्येकः सुरचन्द्रमसूर्यौ। एकोऽग्निः सुर्यो विश्वभास्करौ।
एकः द्विधा बिभ्रद्विवस्वभानुः। एकः सोऽजातः प्रसह्य एकः।
सूर्यः ब्रह्मा जगतो विधानकारी। रूपं न वै सूर्यः।
एवं सति यथा निकायभेदानुपपन्नः।
अधिदैवतं सूर्यं यथा विधाय वैश्वदेव्याः।
आदित्यः देवः। प्रोक्तः सविता। प्रसाद्यते तस्य सर्वम्।
यदिहार्थे सूर्यः। सविता योगिनां पतिः।
एतत्ते यज्ञस्य कर्माणि तन्मे समर्धयन्तु।
अथो स्वाहा॥
अपने संबंधित धार्मिक गुरु या पंडित से संपर्क करके आप आदित्यहृदयं गाथा को अधिक विस्तार से समझ और सीख सकते हैं। वे आपको सही मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
सूर्य देव के पूजा के लाभ–
सूर्य देव की पूजा करने से विभिन्न लाभ होते हैं। सूर्य देव को भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है और उनकी पूजा से आत्मिक और भौतिक उन्नति होती है। निम्नलिखित लाभ सूर्य देव की पूजा करने से प्राप्त हो सकते हैं:
- उत्तरोत्तर प्रगति: सूर्य देव की पूजा से अधिक ऊर्जा, शक्ति, और बुद्धि मिलती है, जो व्यक्ति को उन्नति की ओर आगे बढ़ने में मदद करती है।
- स्वास्थ्य लाभ: सूर्य देव की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रोगों से रक्षा करती है और शक्तिशाली शरीर प्रदान करती है।
- समृद्धि और लाभ: सूर्य देव की पूजा से धन, समृद्धि, और वित्तीय लाभ में सुधार होता है। यह आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने में मदद करती है।
- बुद्धि और ज्ञान: सूर्य देव की पूजा से मन में शांति होती है और विचारशक्ति विकसित होती है। यह विद्या, ज्ञान, और बुद्धि के विकास में मदद करती है।
- आत्मिक विकास: सूर्य देव की पूजा से आत्मा के विकास और सच्चे स्वरूप की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति को समय के साथ भगवान के साथ एकाग्र करता है।
- आध्यात्मिक संबंध: सूर्य देव की पूजा से आध्यात्मिक संबंध मजबूत होते हैं। यह भक्ति और दया के भाव को प्रबल बनाता है।
- रोगों से रक्षा: सूर्य देव की पूजा रोगों से रक्षा करती है और शरीर को स्वस्थ रखती है।
- अन्तर्दृष्टि विकसित करना: सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति की अन्तर्दृष्टि विकसित होती है और उन्हें अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है।
ये लाभ उन भक्तों के लिए हैं जो सूर्य देव की पूजा को नियमित रूप से करते हैं और उनके दिव्य शक्तियों को स्वीकार करते हैं। भगवान सूर्य की पूजा से हम अपने जीवन को समृद्ध, स्वस्थ और सफल बना सकते हैं।
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