नमस्कार मित्रों आज मैं इस पोस्ट में आप सभी के लिए संकटा माता की कथा लेकर आई हूंआज मैं आपको संकटा माता और उनकी एक सच्ची भक्त की कहानी सुनाने जा रही हूं अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो कमेंट बॉक्स में संकट माता की जय अवश्य लिखिए इससे पहले मैंने आपको संकटा माता के कई सारे पोस्ट लिख कर दिए हैं अगर आपने उन सभी को नहीं पढ़ा तो उन सभी के लिंक नीचे दिए गए हैं
संकटा माता की कथा –
एक समय की बात है किसी गांव में एक मालिन रहती थी उस मालिन के पति की मृत्यु हो चुकी थी उसके परिवार में उसकी एक बूढ़ी सास और उसका 4 साल का बेटा था मालिन की सास बहुत कठोर हृदय वाली महिला थी वह उसे बहुत दुख देती थी सारा काम करवाती और उसे बहुत बुरा भला कहती थी उसे खाना भी नहीं देती थी
एक दिन मालिन की सास ने किसी बात को लेकर उसे बहुत डाटा और मलिन के बेटे और मलिन को अपने घर से निकाल दिया, मालिन अपनी सास से बहुत कहा माँ जी मैं इसको लेकर कहां जाऊंगी मेरा कौन है मैं अपने बेटे का ख्याल कैसे रखूंगी और इसे क्या खिलाऊंगी मां जी मुझे क्षमा कर दीजिए अब मुझे कोई गलती नहीं होगी |
लेकिन मालिन की सास को उस पर दया नहीं आई और उसने अपने पोते और बहू को घर से निकाल दिया मालिन अपने बेटे को लेकर घर से निकल गई मालिन और उसका बेटा रोते -रोते एक घने जंगल में पहुंच गए वहां वह दोनों एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए तब उन्होंने देखा वही कुछ ही दूरी पर संकटा माता का मंदिर था जहां बहुत से लोग दर्शन के लिए आते थे दर्शन करते और संकटा माता जी को प्रसाद चढ़ाते और इन मां बेटे को देखते तो कुछ प्रसाद इन मां बेटे को भी दे जाते |
ऐसे ही उन मां बेटे का गुजारा चलता रहा मालिन संकटा माता की पूजा करने लगी वह रोज संकटा माता की पूजा करती और माता से कहती है मां मुझसे क्या भूल हो गई मेरी कष्ट दूर करो ऐसे ही वह दोनों मां और बेटे संकटा माता की पूजा अर्चना करने लगे समय बितता गया मां और बेटे पूजा अर्चना करते रहे एक दिन मालिन सोचा क्यों ना हम जंगल से फूल लाकर संकटा माता के मंदिर के बाहर माला बनाकर बेचने लगे और संकटा माता पूजा की सामग्री और प्रसाद भी बेचने लगे इससे हमारे कुछ आमदनी ही हो जाएगी|
अगले ही दिन से मालिन और उसका बेटा जंगल में जाकर फुल तोड़कर लाने लगे और मंदिर के बाहर उन फूलों की माला बनाकर बेचने लगे धीरे-धीरे संकटा माता की कृपा से उनकी कमाई अच्छी होने लगी मंदिर के पास ही उन्होंने अपने लिए एक घर बनवा लिया और धीरे-धीरे एक दुकान भी बना ली |
संकटा माता के मंदिर में एक राजा की कन्या रोजाना अपनी भाभी के साथ पूजा करने के लिए आई थी जब राजा की पुत्री मालिन के बेटे को देखा तो वह उसे पर मोहित हो गई और उस राजकुमारी ने अपनी भाभी से कहा भाभी मैं इसी लड़के से विवाह करूंगी तो उसकी भाभी ने उसे समझाया कि नहीं यह तो एक मालिन का बेटा है यह मंदिर में फूल बेचता है
और तुम एक राजा की बेटी हो अगर तुम ऐसा करोगी तो तुम्हारे पिता की बहुत बदनामी होगी और तुम्हारे पिता ऐसा नहीं करेंगे लेकिन राजकुमारी बोली भाभी लेकिन मैं तो इन्हें संकटा माता की मंदिर में खड़े होकर इन्हें अपना पति मान चुकी हूं इसलिए मैं अब शादी तो इन्हीं से करूंगी |
तब भाभी ने कहा ठीक है चलो घर पहुंच कर बात करते हैं घर जाकर राजकुमारी की भाभी ने सारी बात अपने सास ससुर व अपने पति को बताया तब राजा अपनी बेटी का विवाह करने के लिए तैयार हो जाते हैं और राजा ने धूमधाम से अपनी बेटी का विवाह मालिन की बेटे से कर दिया
जब राजकुमारी अपने ससुराल आई तो मालिन सबसे पहले अपने बेटे और बहू को लेकर संकटा माता मंदिर में गई और वहां अपनी नई बहू से संकटा माता का पूजा पाठ करवाया संकटा माता से उन्हें आशीर्वाद दिलवाया इसके बाद मलिन की स्थिति देखकर पूरे गांव में ढिंढोरा पीट गया
कि संकटा माता की पूजा अर्चना करने से व्रत करने से सब दुख दूर हो जाते हैं यह सुनकर सारे नगर के लोग संकटा माता के मंदिर में आने लगे जिससे मलिन की और उसके बेटे की और भी ज्यादा बिक्री होने लगी अब उनके पास बहुत पैसा आने लगा इधर मालिन की सास की बुरे दिन आ गए मालिन की सास पर कुछ नहीं बचा था वह खाने के लिए भी तरस रही थी
और उसे कोई खाना भी नहीं देता था मालिन के सास इधर-उधर भटकते भटकते एक दिन वह संकटा माता के मंदिर में जा पहुंची और उसने मालिन के लड़के से कहा बेटा मुझे कुछ खाने को दे दो और कोई काम हो तो मुझे कम पर रख लो मैं तुम्हारा सारा काम कर दूंगी, लड़के को उसकी हालत देखकर उस पर दया आ गई और उस बूढी औरत को लड़के ने कम पर रख लिया |
लेकिन लड़का अपनी बुद्धि दादी को पहचान नहीं पाया मलिन की सास वही काम करने लगी जब माली आई तो उसने वहां अपनी सास को देखकर कहा सासू मां आप यहां पर कैसे और आप यह काम क्यों कर रही है तब उसकी सास ने कहा बहू मैं इनसेठ जी के यहां काम करती हूं इन्होंने मुझे कम पर रख लिया है
तब बहू ने कहा माँ जी यह सेठ जी आपका पोता है यह आप ही की दुकान है और यह आप ही का घर है अब आपको काम करने की कोई जरूरत नहीं आप यहां आराम से रहिए तब मालिन कि सास ने कहा लेकिन बहू तुम्हारे पास इतना सारा पैसा कैसे आ गया|
तब मालिनी ने कहा मां जी जब आपने मुझे घर से निकाल दिया तो हम रोते-रोते यहां आकर बैठे तो हमने संकटा माता का मंदिर देखा और हमने संकट माता का व्रत और पूजा शुरू कर दी फिर संकटा माता की कृपा से हम यहां फूलों की माला बेचने लगे धीरे-धीरे मां की कृपा से हमारी दशा सुधरने लगी और हमने घर और यह दुकान बनवा ली और आपके पोते की शादी एक राजकुमारी से हो गई अब हमारे पास माता संकटा की कृपा से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है
तब उसकी सास ने कहा बहु मुझे क्षमा कर दो मेरी करनी का फल मुझे मिल गया है मैंने तुम्हें घर से निकाल दिया इसका दंड मुझे मिल गया है तब बहू कहती है कोई बात नहीं माँ जी अब आप अपने पोते और बहू के साथ यहां सुखपूर्वक रहो | संकटा माता की कृपा से सब लोग सुखपूर्वक रहने लगे
संकटा माता जैसे आपने मालिन और मालिन के बेटे पर अपनी कृपा की वैसे ही अपने सभी भक्तों पर अपनी कृपा सदा बनाए रखना जय हो संकटा माता की |
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जय हो संकटा माता की
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