नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी के लिए तुरंत आ माता की कहानी लेकर आए हैं यह तुरंता माता की कथा राजा और रानी की है सखियों इससे पहले हमने आपको तुरंत आ माता की पूजा कैसे करते हैं और तुरंत आ माता की पूजा में लगने वाली सामग्री के बारे में बताया है लोग इसको दुरदुरिया पूजा कथा के नाम से भी जानते हैं अगर आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा तो क्लिक करके आप उस पोस्ट को पढ़ सकते हैं
तुरंत आ माता की सुन्दर कहानी || राजा और रानी की कहानी || Durduriya pooja katha |
नमस्कार मैं तारा तिवारी आप सभी को तुरंत आ माता की कथा राजा और रानी सुनाने जा रही हूं
तुरंत आ माता की सुन्दर कहानी || Durduriya pooja katha-
एक राजा और एक रानी थी बहुत दिनों तक उनके कोई संतान नहीं हुई,बहुत जप तप करने के बाद कई सालों के बाद उनको एक संतान की प्राप्ति पुत्र रूप में हुई अब राजा और रानी बहुत खुशी से अपना राजपाठ संभालने लगे ,कई दिनों तक ऐसे चलता रहा देखते ही देखते लड़का चार पांच साल का हो गया |
एक दिन की बात है रानी दोपहर में बच्चे के साथ सो रही थी और बच्चे की नींद खुली तो वह उठकर बाहर की ओर जाने लगा क्योंकि उसको बाहर जाने नहीं दिया जाता था देखभाल की जाती थी तो वह मां को सोता देख कर उसके मन में बाहर जाकर अपने उम्र के बच्चों के साथ खेलने की इच्छा हुई और वह छिपकर बाहर गया और वह खेलते खेलते बहुत दूर चला गया और वह किसी दूसरे गांव में जा पहुंचा |
इधर जब रानी की नींद खुली तो वह बच्चे को अपने पास ना देख कर बहुत हैरान हुई फिर बच्चे की खोजबीन शुरूहुई लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद सफलता हासिल नहीं हुई अर्थात बच्चा उनको नहीं मिला अब राजा रानी का फिर से बहुत दुखी हो गया |
अब वह बच्चा उस गांव में एक ग्वाला के घर पहुंचा तो ग्वालिन ने उससे उसका पता पूछा कि बेटा तुम कहां से आए हो तो वह बच्चा अपने बारे में कुछ बचा नहीं सका क्योंकि वह बड़ा छोटा था उसको कुछ पता नहीं था वह केवल बच्चों के साथ खेलते खेलते दूर चला आया था तो ग्वाला ने कहा कि जब यह बालक अपना नाम पता नहीं बता पा रहा है तो इसको अपने पास रख लो ,जैसे हमारे दो बच्चे हैं वैसे तीन रहेगे, फिर बाद में देखेंगे कि यह कहां से आए हैं हमे फुरसत मिलेगी तो हम इस चीज का पता लगाएंगे |
अब इधर वह बालक ग्वाला के बच्चों के साथ घुल मिलकर खेलने लगा और कुछ दिन ऐसे ही बीत गए , एक दिन ग्वाला की नजर उस बच्चे का हाथ पर पड़ी तो वह देखा कि उसके हाथ में किसी का नाम लिखा हुआ है तो वह बच्चे से पूछा कि बेटा यह किसका नाम लिखा है तो उस बच्चे ने कहा कि यह हमारे पिताजी का नाम लिखा है तो ग्वाला ने कहा कि हम आपके पिताजी का नाम ढूंढते हुए घर ले चलेंगे |
इधर जब राजा शिकार पर निकल जाते तो रानी रोज अपने बच्चे को इधर-उधर ढूंढती क्योंकि मां का हृदय था वह दिन भर तड़पती अपने बच्चे की याद में और इधर उधर बाग बगीचे में देखती कि कहीं से मेरे बच्चे का कोई संदेश आ जाए , रानी यही सोचती कि इतने दिन के बाद एक संतान हुई भी तो मैंने लापरवाही में वह भी अपने हाथ से गवा दिया |
अब रानी एकदम निराश होकर एक गांव में पहुंची तो वह वहां पर देखी कि कुछ औरत मिलकर दुरकाइयाँ पूजा कर रही थी तो रानी भी वहां पर बैठकर पूरी पूजा देखी और दुरकाइयाँ पूजा में कहीं जाने वाली कहानी को बहुत मन लगाकर सुना पूजा खत्म हो जाने के बाद सारी सुहागिनों ने रानी को प्रसाद दिया |
तब रानी ने पूछा कि बहन आप किसकी पूजा कर रही हैं हमको भी बता दीजिए तब सभी सुहागिनों ने कहा कि हम तुरंत आ माता की पूजा कर रहे हैं तुरंत आ माता बहुत ही दयालु हैं यह अपने भक्तों के संकट को क्षण मात्र में दूर कर देती है बस ध्यान रखने वाली बात यह है की जब आपकी मनोकामना तुरंत आ माता पूरा कर दें तो आपने जो कुछ पूजा मान रखा है वह तुरंत कर दें , मनोकामना पूर्ण होने के बाद तुरंत माता की पूजा तुरंत ही कर देनी चाहिए उसको टालना नहीं चाहिए जैसा कि आपको नाम से ही पता चल रहा होगा तुरंत आ माता
तो रानी ने अपने मन में सोचा कि अगर तुरंत आ माता हमारा बच्चा सकुशल वापस हमारे पास आ जाएगा तो हम भी इसी तरह से साथ सुहागिन को लेकर तुरंत आ माता की पूजा करेंगे
उधर रानी का यह मन्नत मानना ना हुआ कि इधर ग्वाला बच्चे को लेकर उसके पिता की तलाश में निकल पड़ा वह कई जहां ढूंढते हुए काफी देर बाद एक गांव के किनारे पहुंचा तो एक व्यक्ति से पूछा कि भैया इस नाम के व्यक्ति को क्या आप जानते हैं तो वह आदमी ने बताया कि हां भैया या हमारे राजा हैं उनका बेटा खो गया है क्या यह उन्हीं का बेटा है यह बता कर ग्वाला को घर का पता बताया
ग्वाला अब बच्चे को लेकर राज द्वार पर पहुंचा तो राजा रानी ने अपने बच्चे को देखकर लिपट लिपट कर रोने लगे और बार-बार ग्वाला का धन्यवाद करने लगे तो राजा ने पूछा कि भाई इसको आपने कहा पाया तो ग्वाला ने कहा कि राजा साहब यह बालक घूमते घूमते हमारे गांव जा पहुंचा था तब हमने इससे इसका पता पूछा तो बालक कुछ बता ना सका एक दिन खेलते खेलते जब मेरी नजर इसके हाथ पड़ गई तो आपका नाम लिखा हुआ था और उसी नाम के सहारे हमने इसको आप तक पहुंचा दिया है
रानी की खुशी की सीमा न थी रानी ने राजा से कहा कि ग्वाला को खूब धन-दौलत देकर विदा कीजिए लेकिन वाला भी कुछ ना लिया और कहा कि जितनी खुशी आपको है अपना बच्चा पाकर ,उतनी खुशी मुझे भी है कि मैंने आपकी धरोहर को आप तक पहुंचा दिया अंत में राजा ने ग्वाला को धन दौलत देकर विदा किया
अब रानी को यह तुरंत याद आ गया कि यह सब काम तुरंत आ माता का है जिसकी पूजा उन्होंने कल मान रखी थी
रानी ने राजा से कहा कि हमें तुरंत आ माता की पूजा करनी है नगर के कुछ औरतों को नियंत्रित कीजिए
और तुरंत आ माता की पूजा में लगने वाली सारी सामग्री इकट्ठा करवाइए
आज हम सब मिलकर तुरंत आ माता की पूजा विधिपूर्वक करेंगे
तुरंत माता की पूजा की सारी व्यवस्था की गई सभी सुहागिनों ने मिलकर तुरंत आ माता की पूजा विधि विधान से की और तुरंत आ माता का गीत गाया गया जिन सुहागिनों को तुरंत आ माता की कथा आ रही थी उन्होंने तुरंता माता की कथा सुनाई और फिर अंत में सभी सुहागिनों ने मिलकर तुरंत आ माता की आरती की और तुरंत आ माता से प्रार्थना की कि हे मां जिस तरह से आपने हमारे संकट को तुरंत दूर किया है ऐसे ही जो लोग आपको याद करें आप उनके भी संकट को तुरंत दूर करे माँ |
आपका स्वभाव बड़ा ही दयालु बड़ा ही सहज बड़ा ही कृपालु है
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बोलो संकटा मैया की जय
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