नमस्कार आज आप सभी के लिए बहुत ही प्यारी सी अवसान माता की कथा Lyrics के साथ आपके लिए लाए हैं और यह कथा अवसान बीवी की कथा के रूप में भी जानी जाती है हमने अपको पिछले पोस्ट में अवसान माता की पूजा विधि बताई है अगर आपको नहीं पता तो वहां जाकर पढ़ सकते हैं
अवसान माता की कथा Lyrics अवसान बीवी की कथा |
नमस्कार मित्रों मैं तारा तिवारी आप सभी का तारा तिवारी भजन में स्वागत करती हूं
यह जो अवसान माता की कहानीहै सखियों एक सीधी साधी सास और बहूकी है इस कहानी में बहू जो है वह सास को परेशान करती है चलिए आगे सुनते हैं
अवसान माता की दुरदुरिया की कहानी–
एक गाँव में एक सास और बहू रहती थी बहू अपने सास से बहुत ज्यादा गुस्सा रहती थी क्योंकि सास थोड़ा सा बूढ़ी हो चुकी थी और वह कुछ काम नहीं कर पाती थी तो इस प्रकार से रहते रहते दोनों में कलह बनती जा रही थी हमेशा बहू सास को ताने देती रहती थी कि आप अम्मा कुछ काम नहीं करती हो / आप से कुछ नहीं होता घर बैठी रहती हैं अम्मा भी बेचारी लाचार थी कुछ नहीं बोलती |
एक दिन बहू ने कहा कि अम्मा आप बैठी नहीं रह सकती हो अब आप घर में हो तो कुछ काम आपको करना पड़ेगा | सास ने कहा इस उमर में मैं क्या काम कर सकती हूं बहू / इस उमर में अगर तुम मुझे रोटी नहीं दे पाओगी तो फिर क्या होगा मेरा, मैं कहां जाऊंगी क्या काम करूंगी तो बहू ने कहा एक काम करिए आप सुबह दूध बेच आया करिए पूरे गांव में आपसे मैं एक महीने का पूरा हिसाब अंत मे लूंगी /
बेचारी सास अब सोच रही थी इस उमर में मैं सुबह सुबह दूध लेकर पूरे गांव-गांव गली-गली कैसे जाऊँगी / सोचा कि चलो कोई बात नहीं जाना तो पड़ेगा ही अब लाचारी है मजबूरी है तो जाना पड़ेगा सुबह हुई जल्दी डब्बा लेकर बहू ने भर दिया बोला दूध बेचकर आओ जल्दी आ जाना दूध बेचकर और महीने का महीने आपसे हिसाब लिया करूंगी अब आप घर में नहीं बैठ सकती हैं
सास जाकर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई वहीं सोचने लगी बैठे-बैठे कि इस बुढ़ापे शरीर में मुझे क्या क्या दुख देखने को मिला है देखिए मेरी अपनी बहू ने मुझे घर में ऐसे ऐसे ताने दे रही है कि घर में बैठकर खाती हो अब मैं कैसे गली-गली जाकर दूध बेचू इतना सोचते सोचते उसको एक-दो घंटे बीत गए /
वह मन में सोची कि एक काम करती हूं दूध को यही गिरा कर चली जाती हूं और दूध को उसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल दिया और आ गई घर बहू ने भी कुछ नहीं बोला, उसने सोचा कि चलो पैसे ली होगी लास्ट में महीने का हिसाब लूंगी/
इसे ही चलते हुए सास का एक महीना पूरा बीत गया अब वह दिन आ गया जब उसको हिसाब देना था अब वह फिर से दूध लेकर चली गई और पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई और रोने लगी बहुत ज्यादा रोने लगी और बोलने लगी अब मैं क्या करूं कैसे घर जाऊं बहू को हिसाब क्या दूंगी जब मैंने कभी दूध बेजा ही नहीं तो मैं हिसाब कहां से दूंगी / पूरा दूध तो इस पीपल के पेड़ के नीचे में डाल देती थी उसके रोने का आवाज सुनकर वहां से अवसान मैया गुजर रही थी
उन्होंने देखा कि एक बुढ़िया रो रही है वह आकर पूछने लगी कि आप क्यों रो रही हैं तो उस बुढ़िया ने कहा कि मैं आपको क्या बताऊं क्या आप मेरे दुख दूर कर दोगी बहुत कहने पर सास बताया मेरी बहू मुझे बहुत ज्यादा कष्ट देती है तो आसान माता ने कहा कि आप पूरी बात बताइए बात क्या है
तो उसने बताया कि बहू मेरे साथ बहुत ज्यादा गलत व्यवहार करती है घर में बोलती है कि तुम बैठे-बैठे क्या करोगी कुछ काम वाम किया करो तो मुझे सुबह सुबह दूध बेचने भेज देती है और कही है कि महीना होने पर तुम से हिसाब करूंगी अब मुझे हिसाब देने का नंबर आ गया /रोज तो मैं दूध बेच नहीं पाती थी मेरे घुटनों में इतना दर्द होता है कमर में दर्द होता है तो मैं आती थी इसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठ जाती थी और सारा दूध इस पीपल के पेड़ में चढ़ा कर चली जाती थी
अब वह दिन आ गया है जब मुझे अपनी बहू को हिसाब देना है और बहुत जोर जोर से रोने लगी और बोलने लगी आज में हिसाब कैसे दूँगी /आज तो बहू पता नहीं क्या कर जाएगी मेरे साथ इतना सुनते ही आस माता भी थोड़ा सा दुखी हूंई कि कोई भी बहू अपनी सास के साथ ऐसा कैसे कर सकती है
औसान माता ने कहा एक काम करो आप जितने भी पीपल के पत्ते हैं सूखे गिरे हुए हैं आप लेकर अपने कोच में भर लो आंचल में और जाना अपनी बहू के आंचल में डाल देना तो उस बुढ़िया ने कहा कि अरे इस तरह करने से क्या मेरा दु:ख दूर हो जाएगा /
तो माता कहा हां जरूर हो जाएगा और अगर तुम्हारा दु:ख दूर हो जाए तो तू अवसान माता की पूजा करना मत भूलना तो उस बूढ़े ने कहा कि ठीक है मैं देखती हूं और उसने अपने आंचल में पूरे पत्ते समेट लिए और अपने घर चली गई घर जाते जैसे ही पहुंची तो बहू ने देखा कि बूढ़ा तो आंचल में बहुत सारा कुछ लेकर आई है
तो बहू ने बोला कि क्या बात है अभी हिसाब देने आ गई है क्या ? तो अम्मा ने कहा कि हां ऐसा ही समझो बेटा हिसाब ही है तो बहुत ज्यादा खुश हुई बहू बोली अरे वाह इतना सारा रुपया पैसा ली है क्या, तो एक काम करो अपना आंचल फैला ओ मैं तुम्हारे आंचल में डाल देती हूं तो बहू खुशी के मारे अपना आंचल फैलाया /
बहू को उसमें खूब सारे धन दौलत पैसा रूपया जेवर सब कुछ निकला तो बहुत ज्यादा खुश हुई एक महीने के दूध में इतना सारा रुपया कहां से अपने कैसे किया बूढ़ा भी बहुत ज्यादा चकित रह गई कि मैंने तो पीपल के पत्ते डाले थे बूढ़ा मन ही मन सोचने लगे कि लग रहा अवसनी माता दी है
अब बहू मां से पूछने लगी की माता इतने सारे पैसे कहां से आपको मिले तो सास ने बहू को सारी कहानी सुनाई / बहु कहने लगी कल से दूध में ले कर मैं जाऊंगी एक काम करो अब मुझे बताओ क्या क्या आपने किया था पूरा विधि सहित मैं वैसे ही करूंगी शायद अवसान माता मुझे भी दे दे /
बूढ़ा ने कहा कि करके देख लो अब सुबह हुई वह बहू भी अपना दूध लेकर जाए और पीपल के पेड़ के नीचे चढ़ा कर चली आए एक महीना बीत गया तब बहू जाकर बैठ कर रोने लगी अब मैं दूंगी कैसे क्या करूं यह सुनकर अवसान बीवी आई पूछने लगी क्या हुआ
तो उसने झूठ में ही बोल दिया कि मेरी सास मुझे बहुत ज्यादा परेशान करती है और मुझे बोलती है कि दूध बेचकर पैसे लेकर आओ मैं क्या करूं मैं तो दूध तो इसमें चढ़ा दी अब क्या करूं/ तो आसान माता ने कहा कि एक काम करो पीपल का पत्ता अपने आंचल में भर लो और ले जाकर अंगने में रख देना / उसने कहा ठीक है खुशी-खुशी वहां से लालची बहु भागते हुए आई तो आंगन में जैसे ही उसने डाला तो देखा /
उसमें बिच्छू सांप दुनिया भर के जीव जंतु पड़े थे और उसकी तरफ दौड़ने लगे तब वह अवसान माँ के पास गई तो माँ ने कहा कि तू अपने सास के साथ बहुत ज्यादा गलत व्यवहार कर रही थी वह बता रही थी उन्हें दो रोटी खाने का नहीं दें रही थी इसीलिए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है तो वह बहू आसान मैया से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी माता बड़ी ही दयालु है उसको रोता देख क्षमा कर दिया /
और कहां अपनी सास की खूब सारी सेवा करो और अच्छे से घर में मिल बाँट कर दोनों लोग रहो और गुरुवार आए तो आसान माता की पूजा कर अवसान मैया की आरती करो और अवसान माता की कथा सुनो तुम्हारे घर में धन दौलत की कमी नहीं रहेगी / बहू ने अपनी सास से माफी मांगी और घर में दोनों खुशी-खुशी रहने लगे खूब विधि विधान से आवाहन कर अवसान माता का गीत गाकर पूजा किया /
तो जिस प्रकार अवसान माता ने उस बूढ़ी सास की लाज बचाई और घर में सुख शांति दे दी उसी प्रकार ही माता रानी हम सब पर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना
बोलो आसानी मैया की जय
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