आप सभी को इस पोस्ट में बताने वाले हैं कि गणेश चतुर्थी पूजा विधि और गणेश चतुर्थी व्रत कथा के बारे में और साथ ही साथ गणेश चतुर्थी 2023 में कब है और विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त आप सभी को इस पोस्ट में मिलने वाला है इससे पहले हमने आप सभी को एकादशी का पोस्ट दिया है क्लिक करके आप उसको पढ़ सकते हैं
नमस्कार मित्रों में तारा तिवारी आप सभी का इस पोस्ट में स्वागत करती है सबसे पहले मित्रों हम आपको यह बता दें कि 2023 में बुधवार 19 सितम्बर को गणेश चतुर्थी पड़ेगी और आप सभी को यह भी बता देंगे गणेश चतुर्थी को ही विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है
गणेश जी की पूजा कैसे करें || गणपति बप्पा की पूजा कैसे करें-
1) प्रात काल उठकर दैनिक कर्मों से निवृत्त होकर उसके बाद जहां पर आपको पूजा करनी है उस स्थान को साफ कर लें और गंगाजल का छिड़काव कर दो /
2) अब उसके बाद पूर्व और उत्तर की दिशा को ध्यान में रखते हुए आसन लगाएं पूर्व और उत्तर की ही दिशा की ओर मुख करके पूजा आपको करनी है
3) अब गणेश जी को मुहूर्त देख कर स्थापित करें
4) गंगाजल का छिड़काव कर के गणेश जी पर पुष्प चढ़ाएं उनको रोली लगाएं धूप दिखाएं दीप जलाएं और फिर उनको मोदक, रोली, मौली,लाल चंदन, आदि चढ़ाएं
5) इसके बाद गणेश जी की आरती करें और फिर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi puja vidhi in hindi)-
1) गणेश चतुर्थी पूजा करने की विधि बहुत आसान है जहां पर पूजा आपको करना है वहां पर पहले रंगोली बना लें /
2) उसके ऊपर चौकी रखकर उस पर लाल या फिर पीला वस्त्र बिछा लें /
3) फिर आप मुहूर्त को देखकर गणेश जी को स्थापित कीजिए ध्यान रहे पूजा ईशान कोण की ओर मुख करके करें तो सबसे उत्तम होगा /
4) और साथ ही एक कलश को स्थापित कीजिए जैसे अन्य पूजा में स्थापित किया जाता है और उसके ऊपर से नारियल लगाइए कलश को धागे से बांध लीजिए यह कलश गणेश चतुर्थी की पूरी पूजा भर विराजित रहेगा और प्रतिदिन इसकी पूजा आरती वंदन करना है और अंत में दसवें दिन जब पूजा का समापन हो तो कलश पर रखा हुआ नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में बाँट दिया जाता है /
5) गणेश जी को वस्त्र पहनाएं कुमकुम चाय इत्यादि सारी चीजें चढ़ाकर गणेश जी को अत्यंत पसंद मोदक अवश्य चढ़ाएं और साथ ही गणेश जी को दूध भी चढ़ाएं /
6) फिर अंत में सब परिवार मिलकर गणेश जी की आरती गाएं और फिर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें इस दौरान जितना ही गणेश जी के मंत्रों का जाप करेंगे उतना ही आपके लिए बेहतर हैऔर फिरअंत में प्रसाद बाँट दें /
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी व्रत कथा ( Ganesh Chaturthi ki vrat katha )-
कथा उस समय की है जब माता पार्वती एक बार एक कुंड में स्नान करने के लिए जाती हैं तो वहां पर अपने मैल को इकट्ठा कर के एक पुतला बना देती है और फिर उसमें जान डाल देती है और फिर वह एक बालक बन जाता है
और फिर उस बालक को उस कुंड के बाहर पहरेदार के रूप में खड़ा कर देती हैं और बालक को आदेश देती हैं कि मैं स्नान करने जा रही हूं कोई अंदर प्रवेश ना करें आप यहां पर खड़े होकर पहरा देना अब माता के जाते ही बालक पहरेदारी पर खड़ा हो गया
उसी समय भगवान शिव वहां पर आए और वह कुंड के अंदर जाने लगे तब उस बालक ने भगवान शिव को अंदर जाने से रोका तो भगवान शिव क्रोध आ गया और भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उस बालक के का सिर काट दिया जब पार्वती मां स्नान करके बाहर निकली तो वह अपने बालक की यह दशा देखकर विलाप करने लगी और अत्यंत क्रोधित हो गई जिससे पूरी पृथ्वी हिल गई सभी देवी देवता बहुत ही भयभीत हो गए और सभी देवी देवता वहां आ पहुंचे कई प्रकार से पार्वती जी को समझाने की कोशिश की गई लेकिन पार्वती जी किसी की एक ना मानी /
तब ब्रह्मा जी ने शिव वाहक नंदी को आदेश दिया कि तुम पृथ्वी लोक पर जाओ और सबसे पहले दिखने वाला किसी भी जीव के बच्चे का गर्दन काट कर ले आओ जिसकी मां उसके और पीठ करके सोई हो /
अब नंदी पृथ्वी पर पहुंचते हैं तो उनको एक हाथी का बच्चा दिखता है जिसकी मां उसकी ओर पीठ करके सोई होती है आदेशानुसार नंदी जी जाकर हाथी के बच्चे का गर्दन काट कर लाते हैं उसके बाद वह सिर लगाकर बालक को पुनः जीवित किया जाता है
और फिर उसके बाद भगवान शिव उनका नाम गणपति रखते हुए उनको सभी गणों के स्वामी होने का आशीर्वाद दिया /
उसके बाद वहां पर उपस्थित अन्य सभी देवता गण उनको देवताओं में श्रेष्ठ होने का आशीर्वाद देते हैं तब से ही किसी भी पूजा के शुरुआत में ही गणेश जी की वंदना पूजा होती है
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