नमस्कार मित्रों आज आप सभी के लिए माँ वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें इसके बारे में बताएगे इससे पहले पोस्ट में हमने वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री के बारे मे बताया है अगर आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो क्लिक करके उस पोस्ट को पढ़ सकते है
वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें-
वैभव लक्ष्मी व्रत, विशेष रूप से शुक्रवार को किया जाने वाला एक प्रसिद्ध धार्मिक व्रत है जो धन, समृद्धि, और श्री लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं, जिनका उद्देश्य धन, समृद्धि और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। यह व्रत शारद ऋतु के शुक्ल पक्ष की दो शुक्रवार को नौ दिन तक किया जाता है।
वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन करने के लिए निम्नलिखित कदम उपायोगी हो सकते हैं:
- स्नान करें: व्रत की शुरुआत में स्नान करें और शुद्धि का अनुभव करें।
- व्रत संबंधित सामग्री की तैयारी: वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए विशेष सामग्री जैसे फूल, दीपक, धूप, पुष्प, नगद, चावल, सिन्दूर, अक्षत, और विभूति की तैयारी करें।
- व्रत की कथा और विधि का पाठ: वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा और पूजा विधि को पढ़ें या सुनें। इससे आपको व्रत के महत्व का अनुभव होगा और आपको पूजा का तरीका समझ में आएगा।
- श्री लक्ष्मी की पूजा: वैभव लक्ष्मी व्रत में, श्री लक्ष्मी की पूजा करें। उनकी मूर्ति या इमेज के सामने बैठें और उन्हें सलाम करें। उनकी पूजा करें, फूल चढ़ाएं, दीपक जलाएं, धूप चढ़ाएं और मन्त्र जाप करें।
- धन्य और भक्ति भाव: व्रत के दौरान धन्य भाव रखें और श्रद्धा भाव से पूजा करें। श्री लक्ष्मी की कृपा के लिए भक्ति भाव से पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करें।
- विधि से व्रत का पालन करें: वैभव लक्ष्मी व्रत का नियमित और विधि से पालन करें। व्रत के समय में उचित भोजन करें और सात्विक आहार पर ध्यान दें।
- व्रत का उधारण: व्रत के नौ दिनों के अंत में, अपने परिवार और मित्रों को व्रत का उधारण करें। उन्हें प्रसाद के रूप में कुछ विशेष भोजन दें और भगवान लक्ष्मी की कृपा का धन्यवाद करें।
यह वैभव लक्ष्मी व्रत के पालन के लिए आम रूप से उपयुक्त चरण हैं। ध्यान रहे कि व्रत के पालन में संयमित और ईमानदारी से आगे बढ़ें, जिससे आपको व्रत के लाभ प्राप्त होंगे। वैभव लक्ष्मी व्रत में समय-समय पर व्रत नियमों का पालन करें और इसका विशेष महत्व ध्यान में रखें।
वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री-
वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री धार्मिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक होती है। इस व्रत के दौरान भगवान लक्ष्मी की पूजा एवं विधि के अनुसार निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:
- लक्ष्मी मूर्ति या इमेज: व्रत के दौरान लक्ष्मी मूर्ति या इमेज की उपस्थिति अनिवार्य है। वे वैभव लक्ष्मी को प्रतिष्ठित करते हैं और पूजा करते हैं।
- वस्त्र और आभूषण: लक्ष्मी मूर्ति को शुभ वस्त्र और आभूषण से सजाया जाता है। वे रत्नों से सजी माला, कंगन, बाजूबंद, नथ, मांग तिका, हार, आदि पहनते हैं।
- दीपक और धूप: लक्ष्मी मूर्ति के समक्ष दीपक और धूप जलाए जाते हैं। धूप के साथ धूप की बत्ती भी रखी जाती है।
- पुष्प: वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए फूलों का उपयोग किया जाता है। पुष्पों से माला बनाई जाती है जो मूर्ति को सजाने के लिए उपयोगी होती है।
- फल और मिष्ठान: व्रत के दौरान फल और मिष्ठान का प्रसाद भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
- आपूर्ति: पूजा के लिए आपूर्ति की भी तैयारी की जाती है। आपूर्ति में अक्षत चावल, गंध, कुमकुम, हल्दी, गुड़, घी, चीनी, नैवेद्य, नगद, आदि हो सकता है।
यह सामग्री वैभव लक्ष्मी व्रत में उपयोग की जाती है। पूरे व्रत के दौरान ध्यान रखें कि व्रत का पालन शुद्धि, संयम, और श्रद्धा के साथ किया जाए।
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा-
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा विशेष रूप से शुक्रवार के दिन किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य धन, समृद्धि, और श्री लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करना होता है। इस व्रत का पालन महिलाएं विशेष रूप से करती हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत कथा निम्नलिखित है:
कथा के अनुसार, एक गांव में एक साधू बाबा रहते थे जिनका नाम दुर्जन था। वह गरीबों की सहायता के लिए अपना सारा समय और संपत्ति देते थे। दुर्जन ने एक दिन अपने गांव में एक समाज भवन बनवाया और समाज के उद्घाटन के लिए भव्य भोजन आयोजित किया। उन्होंने गरीबों को वहां आमंत्रित किया और भोजन के लिए लक्ष्मी माता की पूजा की। वे सभी भोजन का ग्रहण करते हैं लेकिन उनमें से कोई भी व्यक्ति समाज भवन के भीतर नहीं जा सकता था।
इसके पीछे का कारण था कि धनी और गरीब में तालमेल नहीं था, और धनी लोग गरीबों से अलग रहना पसंद करते थे। इससे दुर्जन को बहुत दुःख हुआ, और उन्होंने लक्ष्मी माता से प्रार्थना की कि वे उन्हें धनी और गरीब लोगों को एक करके रखें ताकि समाज में सभी मिलजुलकर भोजन कर सकें।
उनकी प्रार्थना स्वीकार हो गई, और एक रात भगवान विष्णु ने उन्हें स्वप्न में दिखाई दी और बताया कि शुक्ल पक्ष के दो शुक्रवारों को वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन करने से वे उनकी प्रार्थना सुनेंगे। उन्होंने व्रत का पालन किया और समाज भवन में भोजन के द्वार खोले। सभी लोग एक साथ भोजन करने लगे और धनी-गरीब के बीच तालमेल हो गई।
इस प्रकार, वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्वपूर्ण कथा समाप्त होती है, जो धन, समृद्धि, और समाज में सभी के मिलजुलकर खुशहाली की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इससे धन, समृद्धि, और श्री लक्ष्मी की कृपा को प्राप्ति होती है।
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